Friday, January 29, 2010

prarthena

मुझे  एक क्षण चाहिए
ओ समय ...
अपने अनंत कोष से
एक क्षण निकाल/दो मुझे
...की मै जी सकूँ
उस एक क्षण में
पूरी तरह ...
और कह सकूँ
मैंने जीवन को जिया है
ढ़ोया नहीं ...//

                ३० /०१ /२०१०

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