Friday, January 29, 2010

kavi

डाल से टूटे पत्तों की पीड़ा को कौन कहेगा
तिल -तिल कर जलते दीपक के दर्द को कौन सहेगा
कौन लिखेगा बिन बरसे बादल हैं क्यूं खो जाते
कौन लिखेगा भ्रमर हैं गीत कौन सा गाते
कौन लिखेगा नारी के अंतस के द्वन्द समर को
कौन लिखेगा परिवर्तनकारी युग संस्कृतियों के रण को
कौन लिखेगा अडिग मौनधारी सृष्टि की पीड़ा
कौन लिखेगा मानसरोवर में हंसों की क्रीडा
कौन लिखेगा खग समूह के वायु पथ का कलरव
कौन लिखेगा दर्पण के सम्मुख नववधु का अनुभव
कौन लिखेगा मानवता के प्रतिक्षण हास का कारण
कौन लिखेगा न्याय ने किया क्यूं मौन व्रत धारण
कौन लिखेगा वर्तमान के रक्त सने अध्याय
कौन लिखेगा ध्वज अधर्म के क्यूं चहुँ दिशी लहराए
जो यह सब लिख देगा वह सच्चे अर्थो में कवी है
दूर तिमिर को करने हेतु नवप्रभात का रवि है   //

                                                                              ३० /०१ /२०१०

prarthena

मुझे  एक क्षण चाहिए
ओ समय ...
अपने अनंत कोष से
एक क्षण निकाल/दो मुझे
...की मै जी सकूँ
उस एक क्षण में
पूरी तरह ...
और कह सकूँ
मैंने जीवन को जिया है
ढ़ोया नहीं ...//

                ३० /०१ /२०१०